आज रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन चीफ Arnab Goswami की अंतरिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की।
‘अगर राज्य सरकारें किसी को टारगेट करती हैं। तो यह न्याय का उल्लंघन होगा। ऐसा नही होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट
क्यों जाना पड़ा अर्नब गोस्वामी को जेल
अर्नब गोस्वामी को मुंबई पुलिस ने, इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां को आत्महत्या के लिए उकसाने के दो साल पुराने केस में गिरफ्तार किया था।
देर शाम अर्नब गोस्वामी को रायगढ़ जिले में अलीबाग की एक अदालत पेश किया गया, जिसके बाद, कोर्ट ने उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
इसके बाद बॉम्बे हाई कोर्ट ने जमानत देने से इनकार करते हुए, उन्हें राहत के लिए स्थानीय अदालत जाने को कहा था. अर्नब ने बांबे हाई कोर्ट द्वारा जमानत से इनकार किए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
अर्नब पर 5.4 करोड़ बकाया न देने और आत्महत्या के लिए उकसाने का है आरोप
सुसाइड केस में अर्बन गोस्वामी के अलावा, फिरोज मोहम्मद शेख और नितेश सारदा भी आरोपी हैं. जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार किया था।अर्नब गोस्वामी, फिरोज शेख और नितेश सारदा द्वारा कथित रूप से बकाया राशि न देने पर 53 वर्षीय एक इंटीरियर डिजाइनर और उनकी मां ने आत्महत्या की थी।
महाराष्ट्र सरकार द्वारा सीआईडी द्वारा पुनः जांच करने के आदेश दिए गए थे। कथित तौर पर अन्वय नाइक द्वारा लिखे गए सुसाइड नोट में कहा गया था, कि आरोपियों ने उनके 5.4 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया था। इसलिए उन्हें आत्महत्या का कदम उठाना पड़ा।
सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘यदि हम एक संवैधानिक न्यायालय के रूप में व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा नहीं करेंगे, तो कौन करेगा?
अगर राज्य सरकारें किसी व्यक्ति को जानबूझकर टारगेट करती हैं, तो उन्हें पता होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए शीर्ष अदालत है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार को सलाह देते हुए कहा,
हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से लचीला है। महाराष्ट्र सरकार को इस सब को नजरअंदाज करना चाहिए।जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “मैं अर्नब का चैनल नहीं देखता और आपकी विचारधारा भी अलग हो सकती है। लेकिन कोर्ट अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा नहीं करेगा तो यह रास्ता अनुचित है।”
सुप्रीम कोर्ट का महाराष्ट्र पुलिस से सवाल
उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र से पूछा कि क्या अर्नब गोस्वामी के मामले में हिरासत में लेकर पूछताछ किए जाने की जरूरत है?
जस्टिस चंद्रचूड़ ने महाराष्ट्र पुलिस से पूछा’अगर उन पर पैसा बकाया है और कोई आत्महत्या करता है, तो क्या यह अपहरण का मामला है? क्या यह कस्टोडियल पूछताछ का मामला है? अगर एफआईआर अभी भी लंबित है तो क्या उसे जमानत नहीं दी जाएगी?’
सुनवाई के दौरान अर्नब गोस्वामी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश सीनियर वकील हरीश साल्वे ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की है।
उन्होंने जमानत पर बहस के दौरान कहा कि द्वेष और तथ्यों को अनदेखा करते हुए राज्य की शक्तियों का दुरुपयोग किया जा रहा है।
हम एफआईआर के चरण से आगे निकल गए हैं.इस मामले में मई 2018 में एफआईआर दर्ज की गई थी. दोबारा जांच करने के लिए शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है।
इन सब के परे आज देर शाम अर्नब गोस्वामी को बेल मिल गयी।अर्नब अब जेल से बाहर आगये हैं । बाहर आते ही उन्होंने ‘भारत माता की जय’ और ‘वन्दे मातरम’ के नारे लगाए।
जेल के बाहर सैकड़ो की संख्या में अर्नब के समर्थक इकठ्ठा थे। 700 से ज्यादा पुलिस बल तैनात थे.
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